ठेका मजदूरों के सुरक्षा व केंद्र सरकार की निजीकरण के विरोध में श्रमिक संगठन ऐक्टू की हुई बैठक

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भिलाई। सेंटर ऑफ स्टील वर्क्स संबंद्व ऐक्टू की बैठक यूनियन कार्यालय, सेक्टर 6, भिलाई में हुई। बैठक में ऐक्टू के पदाधिकारियों की बैठक के सर्कुलर का पाठ कर उस पर चर्चा की गई। मोदी सरकार अहंकार के साथ चार श्रम कोड सहित मजदूर विरोधी नीतियों को लागू करने के तरीके तलाश रही है तथा सार्वजनिक व सरकारी क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश कर रही है।
               बैठक में ठेका मजदूरों ने बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र में ठेका श्रमिकों का शोषण निरंतर जारी है। अधिकांश ठेका श्रमिकों को न्यूनतम वेतन तक नहीं मिल रहा है। यदि ठेका श्रमिकों को न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जाता है तो मजदूरों से ठेकेदार द्वारा 3000 से ₹4000 तक वापस लिया जा रहा है। पैसा वापस नहीं करने पर नौकरी से निकालने की धमकी दिया जाता है, इसके कारण ठेका श्रमिकों को पैसा वापस देना पड़ रहा है। ठेका श्रमिकों के पीएफ व इआईसी का पैसा भी सही ढंग से जमा नहीं हो रहा है. सेफ्टी शू सही गुणवत्ता का नहीं दिया जा रहा है जिससें जल्दी ही फट जाता है. ठेकेदार बदलने पर श्रमिकों को अंतिम भुगतान का पैसा नहीं मिलता है।
             ऐक्टू ने मालिकों द्वारा पीएफ अनुदान की राशि को जमा नहीं करने पर दंड में भारी छूट देने पर मोदी सरकार की तीव्र आलोचना की है। ऐक्टू ने छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार द्वारा बिजली की दरों में की गई बढ़ोतरी को तत्काल वापस देने की मांग की है। उक्ताशय की जानकारी महासचिव, सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स, ऐक्टू बृजेन्द्र तिवारी ने दी।

 

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Author: Samarthy News

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