जांजगीर-चांपा। 21 जुलाई की रात्रि करीब 11 बजे वेबपोर्टल के संचालक सुखसागर माथुर को घर से ढ़ांबा में ले जाकर ताबड़तोड़ चाकू से हमला किया था। जिसे बीडीएस अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था मगर हालत नाजूक देखते हुए पत्रकार सुखसागर माथुर को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था।
वहीं दुसरी तरफ पत्रकार सुखसागर माथुर को जानलेवा हमला करने वाला लकड़ी तस्कर मनोज बरेठ इस घटना के बाद से ही फरार है। आपको बता दे कि एकाएक इस मामलें में पुलिस ने यू टर्न लेते हुए फरार लकड़ी तस्कर मनोज बरेठ को घटना के दुसरे दिन ही पकड़ कर घटनास्थल में ले जाकर तहसीलदार के पास पेश कर 151 धारा के तहत मुचलके में छोड़ दिया था।
सोचनीय पहलू यह है कि चाकू से हमला करने पर आर्म एक्ट लागू होता है। लेकिन पुलिस आर्म एक्ट की धारा लागू ही नहीं किया और ना ही 307 का मामला पंजीबद्व किया गया जो जांच का विषय है। गौर करने वाली बात यह है कि जब पत्रकारों के हमले में पुलिस लीपापोती कर सकती है तो आम नागरिकों के शिकायत पर साथ कैसा मामला पुलिस आरोपियों पर बनाती होगी यह जांच का विषय है।