दुर्ग। प्रसिद्ध लेखक और एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय और कश्मीर यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर डॉ शेख शौकत हुसैन के खिलाफ 14 साल पुराने मामले में यूएपीए के तहत दिल्ली के उप राज्यपाल द्वारा मुकदमा चलाने की अनुमति दिये जाने के खिलाफ भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) लिबरेशन, एआईवाइएफ, श्रमिक संगठन एटक, सीटू व ऐक्टू, छत्तीसगढ़ राज्य सतनामी समाज की ओर से 20 जून को राष्ट्रीय प्रतिवाद के तहत भारत की महामहिम राष्ट्रपति महोदया को एडीएम दुर्ग के माध्यम से एक ज्ञापन भेजा गया। प्रतिनिधिमंडल में बृजेन्द्र तिवारी, विनोद कुमार सोनी, डीवीएस रेड्डी, अशोक मिरी, जगन्नाथ त्रिवेदी, शमीम कुरैशी, राम सेवक देशलहरा आदि लोग शामिल थे। दूसरा ज्ञापन बलौदाबाजार के जिला मुख्यालय मे 10 जून को सतनामी समाज द्वारा किए गए प्रदर्शन के बाद अंधाधुंध गिरफ्तारी, दमन व सतनामी समाज को बदनाम करने के खिलाफ मुख्यमंत्री के नाम एडीएम दुर्ग को सौंपा गया। ज्ञापन में मांग किया गया है कि इस घटना की सीबीआई जांच कराई जाय। पुलिस द्वारा की जा रही अंधाधुंध गिरफ्तारी, बदसलूकी, दमन पर रोक लगाई जाय। सतनामी समाज को बदनाम करना बंद किया जाय। निर्दोष लोगों को रिहा किया जाय.सतनामी समाज के आस्था के प्रतीक जैतखाम को असमाजिक तत्वों द्वारा खंडित करने वालों को दंडित किया जाय। पहले ज्ञापन में कहा गया कि, प्रख्यात लेखिका अरुंधति रॉय और डॉ. शौकत हुसैन के विरुद्ध 2010 के एक प्रकरण में यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति, दिल्ली के उपराज्यपाल महोदय द्वारा दे दी गयी है। यह हैरत में डालने वाला और हास्यास्पद निर्णय है। पूरे 14 वर्ष बाद यूएपीए जैसे कानून में मुकदमा चलाने की अनुमति देना, कानून का अनुपालन नहीं बल्कि सीधे तौर पर सत्ता द्वारा मतभिन्नता व्यक्त करने वाले लोगों पर शक्तियों का दुरुपयोग है।
महामहिम राष्ट्रपति महोदया को भेजे गए ज्ञापन में है यह मांग
1. लेखिका अरुंधति रॉय और डॉ. शौकत हुसैन के विरुद्ध यूएपीए के तहत मुकदमा चलाये जाने की अनुमति तत्काल निरस्त की जाये।
2. यूएपीए जैसे दमनकारी कानूनों को रद्द किया जाये।
3. राजनीतिक दुराग्रह और मतभिन्नता के चलते गिरफ्तार किए गए सभी राजनीतिक कैदियों को
रिहा किया जाये।